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कालाराम मन्दिर(कालाराम मन्दिर सत्याग्रह भारत के दलित आंदोलन में इस मंदिर की निर्णायक भूमिका रही है।)

कालाराम मन्दिर(विराजित राम जी की मूर्ति है)
Munnanikita

कालाराम मन्दिर एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर है जिसमें भगवान राम की मूर्ति स्थापित है। यह मन्दिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक ज़िले के पंचवटी के निकट स्थित है।
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पेशवा के सरदार रंगराव ओढ़ेकर द्वारा यह मंदिर 1782 में नागर शैली में निर्मित कराया गया था, जो लगभग 1788 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ था
मंदिर में विराजित राम की मूर्ति काले पाषाण से बनी हुई है, इसलिए इसे 'कालाराम' कहा जाता है।यह मंदिर 74 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़ा है
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मंदिर की चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं। इस मंदिर के कलश तक की ऊँचाई 69 फीट है तथा कलश 32 टन शुद्ध सोने से निर्मित किया हुआ है।
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पूर्व महाद्वार से प्रवेश करने पर भव्य सभामंडप नजर आता है, जिसकी ऊँचाई 12 फीट होने के साथ यहाँ चालीस खंभे है। यहाँ विराजमान हनुमान मंदिर में वे अपने आराध्य राम के चरणों की ओर देखते हुए प्रतीत होते हैं। 
कहा जाता है कि ये मंदिर पर्णकुटी के स्थान पर बनाया गया है, जहाँ पूर्व में नाथपंथी साधु निवास करते थे। एक दिन साधुओं को अरुणा-वरुणा नदियों पर राम की मूर्ति प्राप्त हुई और उन्होंने इसे लकड़ी के मंदिर में विराजित किया था। तत्पश्चात माधवराव पेशवा की मातोश्री गोपिकाबाई की सूचना पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।
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 उस काल के दौरान मंदिर निर्माण में 23 लाख का खर्च अनुमानित बताया जाता है।



दिन 3 मार्च 1930 को सत्याग्रहीओं की चार तुकडीयां बनाई गई, जो मन्दिर चार दरवाजो पर तैनात थी। पुलिस तथा मन्दिर के पुजारीओं ने सत्याग्रहीओं की मांग का विरोध करते हुए मन्दिर के सभी दरवाजे बन्द रखे। पुलिसों ने भी पुरे मन्दिर को कडी बना रखी थी

भारत के दलित आंदोलन में इस मंदिर की निर्णायक भूमिका रही है। 2 मार्च 1930 को मंदिर के बाहर डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में कालाराम मन्दिर सत्याग्रह किया गया, जिसके परिणामस्वरूप दलितों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिली।

नासिक मुंबई से 160 किमी तथा पुणे से 210 किमी दूरी पर स्थित है। मुंबई से नासिक हवाई मार्ग द्वारा भी पहुँचा जा सकता है।

यह नासिक मध्य रेलवे का एक महत्वपूर्ण जंक्शन भी है। मुंबई की ओर जाने वाली अधिकतर गाड़ियाँ नासिक होते हुए गुजरती हैं। मुंबई-आगरा महामार्ग नासिक होते हुए गुजरता है।

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