जानिए क्या है भारत में वेश्यावृति का इतिहास
आज भारत में ही नही बल्कि विश्व के ज्यादातर देशो में वेश्यावृति अर्थात देह व्यापार एक आम बात हो गई है | महिलाए ,लडकियां को इस वेश्यालयों की शौभा माना जाता है | और ताजुब की बात तो यह है की यह महिलाये या लडकियां आती कहाँ से है | गरीब के घरो से , सुनसान राहो , काम के दिलाने के बहाने ,खरीद कर ,मज़बूरी वश , जबरजस्ती उठाकर ,इत्यादि तरीको से यह वेश्यालय में लाई जाती है | आज भारत का ऐसा कोई
राज्य नही बचा है | जहाँ से महिलाओ एवं लडकियों को सेक्स वर्क हेतु सपलाइ न किया जाता हो | इन वेश्यालय में महिलायों की उच्ची बोली लगाई जाती है और उन्हें खरीद लिया जाता है फिर उन्हें मजबूर किया जाता है | और इन महिलाओ एवं लडकियों से देह व्यापार का कार्य लिया जाता है
यदि वे ऐसा करने के लिए राजी नही होती तो इसके लिए नशीली दवाओं , या फिर किसी अन्य प्रकार का उन्हें भय दिखाकर यौन सम्बन्ध बनाने के लिए विवश किया जाता है |
भारत में वेश्यावृति अर्थात देह व्यापार कोई नया शब्द नही है इसका वर्णन वेदों ,पुरानो , स्मृतियों , रामायण , महाभारत ,कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी देखने को मिलता है | वेश्यालय को किसी भी समाज के लिए उपयुक्त नही माना जा सकता है लेकिन समाज के बड़े तबके के द्वारा इसे सदैव किसी न किसी आधार पर उचित साबित करने की कोशिश की गई है -
आज भारत में ही नही बल्कि विश्व के ज्यादातर देशो में वेश्यावृति अर्थात देह व्यापार एक आम बात हो गई है | महिलाए ,लडकियां को इस वेश्यालयों की शौभा माना जाता है | और ताजुब की बात तो यह है की यह महिलाये या लडकियां आती कहाँ से है | गरीब के घरो से , सुनसान राहो , काम के दिलाने के बहाने ,खरीद कर ,मज़बूरी वश , जबरजस्ती उठाकर ,इत्यादि तरीको से यह वेश्यालय में लाई जाती है | आज भारत का ऐसा कोई
राज्य नही बचा है | जहाँ से महिलाओ एवं लडकियों को सेक्स वर्क हेतु सपलाइ न किया जाता हो | इन वेश्यालय में महिलायों की उच्ची बोली लगाई जाती है और उन्हें खरीद लिया जाता है फिर उन्हें मजबूर किया जाता है | और इन महिलाओ एवं लडकियों से देह व्यापार का कार्य लिया जाता है
यदि वे ऐसा करने के लिए राजी नही होती तो इसके लिए नशीली दवाओं , या फिर किसी अन्य प्रकार का उन्हें भय दिखाकर यौन सम्बन्ध बनाने के लिए विवश किया जाता है |
ऐतिहासिक पृष्टभूमि :
भारत में वेश्यावृति अर्थात देह व्यापार कोई नया शब्द नही है इसका वर्णन वेदों ,पुरानो , स्मृतियों , रामायण , महाभारत ,कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी देखने को मिलता है | वेश्यालय को किसी भी समाज के लिए उपयुक्त नही माना जा सकता है लेकिन समाज के बड़े तबके के द्वारा इसे सदैव किसी न किसी आधार पर उचित साबित करने की कोशिश की गई है -
आखिर किस आधार पर विभिन्न कालखंडो में वेश्यावृति को सही ठहराया गया :
प्राचीन समय की बात करे तो विधि विधानों का सहारा लेकर इस कुप्रथा को वैध प्रदान की गई थी |
प्राचीन समय की बात करे तो विधि विधानों का सहारा लेकर इस कुप्रथा को वैध प्रदान की गई थी |
मध्य युग में अभिजात वर्ग के द्वारा गौरव एवं कलात्मक अभिरुचि के आधार पर इसको सही ठहराया गया | आधुनिक समय में इसे सामाजिक विवशता ,मानशिक विक्षेप, भोग की चाह में निरंतर वृद्धि के आधार सही ठहराया जा रहा है |
भारत में वेश्यावृति -
आज भारत में वेश्यावृति अर्थात् सेक्स वर्क के लगभग 30 % यौनकर्मी महिलाए धन की आवश्कता के कारण अथवा मजबुरी वश इसमें संलिप्त पाई गई है | आकडे बताते है की बहुत सारी महिलाए इस प्रकार के कार्य मजबूर वश करती है | आल इंडिया नेटवर्क ऑफ़ यौनकर्मी की माने तो महिलाए हालात के हाथो मजबूर होने के कारण देह व्यापार संलिप्त होती है |आज देश के मध्य ऐसा कई स्थान (राज्य ) नही मौजूद है जहां देह व्यापार खुले आम न चलाया जाता हो | उदाहरण के रूप में यदि देखे तो गुजरात , मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश राज्य में तो नटपुरवा अर्थात नट जाति के लोगो के द्वारा देह व्यापार का कार्य किया जाता है |वाराणसी शहर में स्थित मंडुआडीह जहाँ वेश्यालय में देह व्यापार को खुले आम चलाया जाता है | इसमें कोई संदेह नही की सेक्स वर्क के कार्य को रोक लगाने अथवा इस पर पाबंदी लगाने के इरादे से समय समय पर स्वयंसेवकों एवं गैरसरकारी संगठनों के द्वारा इस प्रथा का विरोध किया गया |
किन्तु आज भी देश में कुल 11 सौ सत्तर रेड लाईट एरिया है जिनमे व्यापारिक दृष्टि से कोलकत्ता और मुम्बई सबसे बड़ा क्षेत्र प्रसिध्द है | जहाँ आये दिन करोडो रूपये के साप्ताहिक व्यापार हुआ करते है | भारत में कुछ ऐसे भी राज्य है जहाँ सेक्स वर्क का कार्य पुराना रहा है जिनमे राजस्थान , उ०प्र० , उड़ीस मुख्य है | यह वे स्थान है जहां वेश्यावृति को सर्वप्रथम गायन , नृत्य में रूप में दिखा करते थे | बाद के वर्षो में यही वेश्यालय में तब्दील हो गये | भारत में कुल यौन कर्मियों की संख्या 1997 में 20 लाख थी जो 2006-08बढ़कर में 40 लाख हो गई |
किन्तु आज भी देश में कुल 11 सौ सत्तर रेड लाईट एरिया है जिनमे व्यापारिक दृष्टि से कोलकत्ता और मुम्बई सबसे बड़ा क्षेत्र प्रसिध्द है | जहाँ आये दिन करोडो रूपये के साप्ताहिक व्यापार हुआ करते है | भारत में कुछ ऐसे भी राज्य है जहाँ सेक्स वर्क का कार्य पुराना रहा है जिनमे राजस्थान , उ०प्र० , उड़ीस मुख्य है | यह वे स्थान है जहां वेश्यावृति को सर्वप्रथम गायन , नृत्य में रूप में दिखा करते थे | बाद के वर्षो में यही वेश्यालय में तब्दील हो गये | भारत में कुल यौन कर्मियों की संख्या 1997 में 20 लाख थी जो 2006-08बढ़कर में 40 लाख हो गई |
· जीविकोपार्जन
· आत्म नीरसता
· अपनी एवं अपने आश्रितों की क्षुधा को शांत करने हेतु
· विलासिता
· धन की आवश्कता
· परिवार के आर्थिक स्थितीय का सही न होना
· अल्वैतनिक
· लाचारिय , लालच
2. सामाजिक :
· विवाह का अनिवार्य होना
· समाज द्वारा मान्यता प्रदान किया जाना
· दहेजप्रथा
· विधवा विवाह पर प्रतिबन्ध
· सामाजिक बहिष्कार
· अनमेल विवाह
· तलाक प्रथा का अभाव
· त्याग
· सुखमय जीवन का लालच
· आश्लिल साहित्य ,चलचित्र आदि |
3. मनोवैज्ञानिक कारण :
· काम वासना की इच्छा
· आत्म संतुष्टि
भारत में वेश्यावृति को रोकने हेतु कोई ठोस नियम और कानून न निर्मित होने के कारण आज भी सेक्स वर्क का कार्य तेजी से हो रहा है| निसंदेह भारत सरकार द्वारा भारतीय दंड सहिता 1860 के तहत वेश्यावृतिउन्मूलन कानून , और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956 पास किया गया , परन्तु यह कानूनों कोई खास कामगर साबित नही हो सके है जिसकी वजह से सेक्स वर्क का कार्य अभी भी हो रही है | ऐसे में जरुरत है ठोस नियम व कानून की ताकि सेक्स वर्क के व्यापार पर लगाम लगाया जा सके |
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