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मासिक धर्म, पीरियड्स Larki Ko Qn Aati Hai.NEXT LEVEL

Menstural Cycle or MC मासिक धर्म, पीरियड्स

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12 से 15 साल की आयु की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, पीरियड्स या रजोधर्म या माहवारी कहते हैं।

माहवारी की सामान्य अवधि-:
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।

मासिकधर्म के आवर्तन के टप्पे इस में 3 टप्पे होते हैं-
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फॉलिक्युलर (अंडे बाहर छोडेर जाने के पहले) ओव्ह्यूलेटरी (अंडे बाहर छोडना) ल्युटिल (अंडे बाहर छोड़ने पर) फॉलिक्युलर टप्पा इस टप्पे में रक्त बहने का पहले दिन शुरू होता है। (दिवस 1) परंतु इस टप्पे की विशेषता मतलब ओव्हरीज में फॉलिकल का विकास होना। फॉलिक्युलर टप्पे के शुरुआत में गर्भाशय का अस्तर (एंडोमेट्रियम) गर्भ के पोषण के लिए आवश्यक एेसे द्रव भरकर फुगता है। अंडे का फलन नही हुआ तो एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन का प्रमाण कम होता है। इसके परिणामस्वरूप एंडोमेट्रियम का ऊपरी स्तर बाहर डाला जाता है और मासिकधर्म का रक्त बहना शुरू होता है। साधारण इसी समय पिट्युटरी ग्रंथी में से फॉलिकल को उत्तेजित करनेवाले संप्रेरकाें की निर्मिती जरा ज्यादा प्रमाण में की जाती है। इन संप्रेरकाे के मार्फत साधारणतः 3 से 10 फॉलिकल्स तैयार किए जाते है।प्रत्येक में एक अंडा होता है। इन टप्पो में इन संप्रेरकाें का प्रमाण कम होने लगता है इनमें से एक डॉमिनंट फॉलिकल की ग्रोथ(व्रू्ध्दी) होती रहती है। कुछ कालावधी के बाद वह स्वतः एस्ट्रोजेन तैयार करने लगता है और अन्य फॉलिकल्स नष्ट होते हैं। फॉलिक्युलर टप्पा लगभग 13-14दिनों का होता है। तीनों टप्पो की तुलना में इस टप्पे की कालावधी में सर्वाधिक बदल होते रहते हैं। मेनोपॉज के समय भी यह टप्पा कम दिनों का होता है। ल्युटिनायझिंग संप्रेरक(हार्मोन) का प्रमाण बढता है उस समय यह टप्पा समाप्त होता है परिणामस्वरूप अंडे बाहर छोडे जाते हैं।

फॉलिकल ला उत्तेजित करनेवाले संप्रेरक का प्रमाण बढने का कारण फिलहाल ठीक से समझा नहीं। यह टप्पा साधारणतः 16से 32 घन्टा चलता है और अंडे बाहर छोडने की क्रिया से इसका समापन होता है। अंडे बाहर आने के बाद 12से 24घन्टे ल्युटिनायझिंग हार्मोन की बाढ पेशाब जाँच में दिखाई देती है। यह प्रमाण गिनने पर एखादी स्त्री फलनक्षम है अथवा नही यह समझता है। अंडे छोड़ने के उपरांत अधिकतम 12घंटे तक उसका फलन हो सकता है।अंडे बाहेर छोडे जाने के पहले पुनरुत्पादक नलिकेत (रिप्रॉडक्टिव्ह ट्रॅक) शुक्रजंतू उपस्थित है तो फलन की संभावना ज्यादा होती है। ओव्यूयालेशन के समय कुछ स्त्रियाें को पेट के नीचे एक बाजू में वेदना महसूस होती है उसे मध्य वेदना (शब्दाश:, मिडल पेन) कहते हैं। यह 

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