डायजेपाम लक्षण(चिंता, अनिद्रा और अल्कोहल )
डायजेपाम का प्रयोग मुख्य तौर पर चिंता, अनिद्रा और अल्कोहल का सेवन अचानक रोकने से उत्पन्न लक्षणों के उपचार के लिये किया जाता है। इसे कतिपय मेडिकल प्रक्रियाओं (उदा. एंडोस्कोपी) के पहले नींद लाने, बेचैनी दूर करने या स्मृतिलोप उत्पन्न करने के लिये पूर्व-उपचार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
अंतर्शिरा डायजेपाम या लोरजेपाम स्टैटस एपिलेप्टिकस के पहले दर्जे के उपचार हैं।लेकिन डायजेपाम की तुलना में लोरजेपाम अधिक बार दौरों को खत्म करता है और इसका असर अधिक देर तक रहता है।डायजेपाम को मिरगी के लंबे समय के उपचार के लिये बहुत कम प्रयोग में लाया जाता है क्यौंकि डायजेपाम के मिर्गी विरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता 6 से 12 महीनों में उत्पन्न हो जाती है, जिससे यह इस उपचार के लिये उपयोगहीन हो जाता है।डायजेपाम को एक्लेम्प्सिया के आपातकालीन उपचार के लिये तब किया जाता है जब अंतर्शिरा IV मैगनीशियम सल्फेट और रक्तचाप नियंत्रण के प्रयत्न असफल हो चुके होते हैं।बेजोडायजेपाइनों में दर्दनिवारक गुण नहीं होते हैं और सामान्यतः दर्द से पीड़ित रोगियों को नहीं दिये जाते.फिर भी डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन उनके पेशियों को शिथिल करने के गुणों के कारण पेशियों की अकड़न और पलकों की अकड़न सहित भिन्न तरह के डिसटोनियाओं से उत्पन्न दर्द को दूर करने के काम आते हैं। बेंजोडायजेपाइनों,जैसे डायजेपाम के पेशी-शिथिलताकारक गुणों के प्रति अकसर सहिष्णुता उत्पन्न हो जाती है।कभी – कभी डायजेपाम के स्थान पर बैक्लोफेनया टिजानिडीन का प्रयोग किया जाता है। टिजानिडीन अन्य अकड़न-निरोधी दवाओं जितनी ही असरदार होती है और उसमें बैक्लोफेन और डायजेपाम से बेहतर सहिष्णुता होती है।
डायजेपाम के मिर्गी-निरोधी प्रभाव, दवाई के अधिक मात्रा में सेवन या सैरिन, वीएक्स (VX), सोमन (या अन्य आर्गेनोफास्फोरस जहरों; #CANA देखें), लिंडेन, क्लोरोक्विन, फाइजोस्टिग्मिन या पाइरेथ्राइडों की रसायनिक विषाक्तता से उत्पन्न दौरों के उपचार में उपयोगी हो सकते हैं। डायजेपाम कभी-कभी 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उच्च ज्वर से उत्पन्न दौरों के इलाज में भी रूक-रूक कर प्रयोग में लाया जाता है।मिर्गी के उपचार के लिये डायजेपाम लंबे समय के लिये नहीं दिया जाता लेकिन लाइलाज मिर्गी के रोगियों के एक उपसमूह में लंबे समय के बेंजोडायजेपाइनों से लाभ होता है और ऐसे लोगों में मिर्गी-निरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता के विकास के धीमी गति से शुरू होने के कारण क्लोरजेपेट का प्रयोग किया जाता है।
डायजेपाम के संकेतों (जिनमें से अधिकांश आफ-लेबल हैं) का बड़ा स्पेक्ट्रम है, जिनमें शामिल हैं:
01 चिंता, डर के दौरों और उपद्रव की स्थितियों का उपचार
02 चक्कर के साथ होने वाले न्यूरोवेजिटेटिव लक्षणों का उपचार
03 अल्कोहल, अफीम और बेंजोडायजेपाइन को रोकने से होने वाले लक्षणों का उपचार
04 अनिद्रा का लघु अवधि का उपचार
05 टिटेनस (धनुर्वात) का उपचार, जिसमें उसके गहन उपचार के अन्य उपाय भी शामिल हैं
06 मस्तिष्क या मेरू-रज्जु के रोगों जैसे, स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, मेरु-रज्जु की चोटों से उत्पन्न स्पास्टिक मस्कुलार पैरेसिस (पैरा-/टेट्राप्लीजिया) का सहायक उपचार. (लंबे अर्से के उपचार में अन्य उपाय भी होते हैं)
07 हैल्यूसिनोजनों, जैसे एलएसडी (LSD) या सीएनएस उत्तेजकों जैसे कोकेन या मेथएम्फीटेमीन से उत्पन्न समस्याओं का उपचार.
कानूनी फांसी के पहलेसंपादित-:
करेंकैलिफोर्निया प्रदेश में कैदियों को फांसी के पहले जानलेवा इंजेक्शन कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में निद्राकारक डायजेपाम का प्रयोग किया जाता है।
डायजेपाम का प्रयोग मुख्य तौर पर चिंता, अनिद्रा और अल्कोहल का सेवन अचानक रोकने से उत्पन्न लक्षणों के उपचार के लिये किया जाता है। इसे कतिपय मेडिकल प्रक्रियाओं (उदा. एंडोस्कोपी) के पहले नींद लाने, बेचैनी दूर करने या स्मृतिलोप उत्पन्न करने के लिये पूर्व-उपचार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
अंतर्शिरा डायजेपाम या लोरजेपाम स्टैटस एपिलेप्टिकस के पहले दर्जे के उपचार हैं।लेकिन डायजेपाम की तुलना में लोरजेपाम अधिक बार दौरों को खत्म करता है और इसका असर अधिक देर तक रहता है।डायजेपाम को मिरगी के लंबे समय के उपचार के लिये बहुत कम प्रयोग में लाया जाता है क्यौंकि डायजेपाम के मिर्गी विरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता 6 से 12 महीनों में उत्पन्न हो जाती है, जिससे यह इस उपचार के लिये उपयोगहीन हो जाता है।डायजेपाम को एक्लेम्प्सिया के आपातकालीन उपचार के लिये तब किया जाता है जब अंतर्शिरा IV मैगनीशियम सल्फेट और रक्तचाप नियंत्रण के प्रयत्न असफल हो चुके होते हैं।बेजोडायजेपाइनों में दर्दनिवारक गुण नहीं होते हैं और सामान्यतः दर्द से पीड़ित रोगियों को नहीं दिये जाते.फिर भी डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन उनके पेशियों को शिथिल करने के गुणों के कारण पेशियों की अकड़न और पलकों की अकड़न सहित भिन्न तरह के डिसटोनियाओं से उत्पन्न दर्द को दूर करने के काम आते हैं। बेंजोडायजेपाइनों,जैसे डायजेपाम के पेशी-शिथिलताकारक गुणों के प्रति अकसर सहिष्णुता उत्पन्न हो जाती है।कभी – कभी डायजेपाम के स्थान पर बैक्लोफेनया टिजानिडीन का प्रयोग किया जाता है। टिजानिडीन अन्य अकड़न-निरोधी दवाओं जितनी ही असरदार होती है और उसमें बैक्लोफेन और डायजेपाम से बेहतर सहिष्णुता होती है।
डायजेपाम के मिर्गी-निरोधी प्रभाव, दवाई के अधिक मात्रा में सेवन या सैरिन, वीएक्स (VX), सोमन (या अन्य आर्गेनोफास्फोरस जहरों; #CANA देखें), लिंडेन, क्लोरोक्विन, फाइजोस्टिग्मिन या पाइरेथ्राइडों की रसायनिक विषाक्तता से उत्पन्न दौरों के उपचार में उपयोगी हो सकते हैं। डायजेपाम कभी-कभी 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उच्च ज्वर से उत्पन्न दौरों के इलाज में भी रूक-रूक कर प्रयोग में लाया जाता है।मिर्गी के उपचार के लिये डायजेपाम लंबे समय के लिये नहीं दिया जाता लेकिन लाइलाज मिर्गी के रोगियों के एक उपसमूह में लंबे समय के बेंजोडायजेपाइनों से लाभ होता है और ऐसे लोगों में मिर्गी-निरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता के विकास के धीमी गति से शुरू होने के कारण क्लोरजेपेट का प्रयोग किया जाता है।
डायजेपाम के संकेतों (जिनमें से अधिकांश आफ-लेबल हैं) का बड़ा स्पेक्ट्रम है, जिनमें शामिल हैं:
01 चिंता, डर के दौरों और उपद्रव की स्थितियों का उपचार
02 चक्कर के साथ होने वाले न्यूरोवेजिटेटिव लक्षणों का उपचार
03 अल्कोहल, अफीम और बेंजोडायजेपाइन को रोकने से होने वाले लक्षणों का उपचार
04 अनिद्रा का लघु अवधि का उपचार
05 टिटेनस (धनुर्वात) का उपचार, जिसमें उसके गहन उपचार के अन्य उपाय भी शामिल हैं
06 मस्तिष्क या मेरू-रज्जु के रोगों जैसे, स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, मेरु-रज्जु की चोटों से उत्पन्न स्पास्टिक मस्कुलार पैरेसिस (पैरा-/टेट्राप्लीजिया) का सहायक उपचार. (लंबे अर्से के उपचार में अन्य उपाय भी होते हैं)
07 हैल्यूसिनोजनों, जैसे एलएसडी (LSD) या सीएनएस उत्तेजकों जैसे कोकेन या मेथएम्फीटेमीन से उत्पन्न समस्याओं का उपचार.
कानूनी फांसी के पहलेसंपादित-:
करेंकैलिफोर्निया प्रदेश में कैदियों को फांसी के पहले जानलेवा इंजेक्शन कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में निद्राकारक डायजेपाम का प्रयोग किया जाता है।
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