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महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म राज्य NEXTLEVEL

महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म राज्य  महाराष्ट्र भारत का सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला राज्य है।
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महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म राज्य का एक बड़ा धर्म है। महक बड़ा धर्म है। महाराष्ट्र भारत का सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला राज्य है।

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  बौद्ध धर्म महाराष्ट्र की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सातवाहन काल के दौरान महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ था। नाग लोगों ने धर्म प्रसार के लिए अपना जीवन दाव पर लगाया था। हजारों बुद्ध गुफाएँ मूर्तियां बनाई गई हैं। 
सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और नाथों से वारकरी संप्रदाय तक बौद्ध धर्म फैलता गया।
सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था।
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2011 में भारतीय जनगणना के अनुसार, भारत में 84,42,972 बौद्ध थे और उनमें सें सबसे ज्यादा 65,31,200 यानी 77.36% बौद्ध महाराष्ट्र राज्य में थे।जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में हिंदू धर्म और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है,

जो महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का 6% है। भारत के कुल धर्मपरावर्तित बौद्धों (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) की संख्या 73 लाख हैं, उनमें से लगभग 90% महाराष्ट्र में हैं।महाराष्ट्र में आबादी में 12% वाला पूरा समुदाय बौद्ध धर्मावलंबी हैं.1956 में,

भीमराव आम्बेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। यह दीक्षा समारोह दीक्षाभूमि नागपूर में हुआ था। महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाडा एवं कोकण यहाँ के दलित (अनुसूचित जाति) समाज ने इसमे बडे पैमाने पर भाग लिया। इसी वजह से भारत में प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में बौद्धों की संख्या अधिक हुई है।

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सन 2011 में, महाराष्ट्र में कुल बौद्धों की संख्या 1 करोड़ से अधिक हैं, जो महाराष्ट्र की आबादी का 9 से 11% हिस्सा हैं।
सन 1951 में, महाराष्ट्र में केवल 2,489 बौद्ध (0.01%) थे, डॉ॰ आम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को किये हुए सामूहिक धर्म परिवर्तन के बाद सन 1961 में यह बौद्धों संख्या 1,15,991% से बढकर 27,89,501 (7%) हो गई थी।

महाराष्ट्र में बौदाराष्ट्र भारत का सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला राज्य है।

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बौद्ध धर्म महाराष्ट्र की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सातवाहन काल के दौरान महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ था। नाग लोगों ने धर्म प्रसार के लिए अपना जीवन दाव पर लगाया था। हजारों बुद्ध गुफाएँ मूर्तियां बनाई गई हैं। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और नाथों से वारकरी संप्रदाय तक बौद्ध धर्म फैलता गया।

 सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था।

2011 में भारतीय जनगणना के अनुसार, भारत में 84,42,972 बौद्ध थे और उनमें सें सबसे ज्यादा 65,31,200 यानी 77.36% बौद्ध महाराष्ट्र राज्य में थे।जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में हिंदू धर्म और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है,

जो महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का 6% है। भारत के कुल धर्मपरावर्तित बौद्धों (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) की संख्या 73 लाख हैं, उनमें से लगभग 90% महाराष्ट्र में हैं।महाराष्ट्र में आबादी में 12% वाला पूरा समुदाय बौद्ध धर्मावलंबी हैं.1956 में,

भीमराव आम्बेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। यह दीक्षा समारोह दीक्षाभूमि नागपूर में हुआ था। महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाडा एवं कोकण यहाँ के दलित (अनुसूचित जाति) समाज ने इसमे बडे पैमाने पर भाग लिया। इसी वजह से भारत में प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में बौद्धों की संख्या अधिक हुई है।

सन 2011 में, महाराष्ट्र में कुल बौद्धों की संख्या 1 करोड़ से अधिक हैं, जो महाराष्ट्र की आबादी का 9 से 11% हिस्सा हैं।

सन 1951 में, महाराष्ट्र में केवल 2,489 बौद्ध (0.01%) थे, डॉ॰ आम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को किये हुए सामूहिक धर्म परिवर्तन के बाद सन 1961 में यह बौद्धों संख्या 1,15,991% से बढकर 27,89,501 (7%) हो गई थी।



महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार सातवहन काल के दौरान बडे पैमाने पर हुआ है, जिसमें नाग लोगों का योगदान महत्वपूर्ण है। जब प्राचीन वास्तु और प्राचीन लेखन की खोज की गई,
तब पता चला की सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था। पर्सी ब्राउन इस विद्वान के अनुसार,

भारत में मूर्तियों में से आधी से अधिक बौद्ध मूर्तियां पायी जाती हैं, इससे महाराष्ट्र में बौद्ध काल की लोकप्रियता दिखाई देती है। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और वारकरी सम्प्रदाय के माध्यम से बौद्ध धर्म फैलता गया। सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्म का पालन किया जाता था।

 उसके बाद मुसलमान एवं हिन्दु शासकों के बौद्ध प्रति नकारात्मक कृतिओं से बौद्ध धर्म के अनुयायि कम होने लगे, बौद्धों पर हमले एवं उनका विरोध होता रहा। आधुनिक भारत तक बौद्ध धर्म अनुयायि महाराष्ट्र में 1% से कम रह गये।

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