प्रारंभिक जीवन-;
अनुराग कश्यप का जन्म 10 सितंबर 1972 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था।उनके पिता श्री प्रकाश सिंह उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता थे और वाराणसी के पास सोनभद्र जिले में ओबरा ताप विद्युत गृह में कार्यरत थे।उन्होंने ग्रीन स्कूल देहरादून से अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा प्राप्त की और आठ साल की उम्र में ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में पढ़ने आ गये। गैंग्स ऑफ वासेपुर में दिखाये जाने वाले कुछ स्थान उनके अपने पुराने घर से प्रभावित थे
एक वैज्ञानिक बनने की उनकी इच्छा के कारण, कश्यप अपने उच्च अध्ययन के लिए दिल्ली आ गए और हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) से प्राणीशास्त्र पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया। उन्होंने 1993 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।वह अंततः एक नुक्कड़ नाटक समूह, जन नाट्य मंच में शामिल हो गए; और कई नुक्कड़ नाटकों में भाग लेने लगे।उसी वर्ष, उनके कुछ दोस्तों ने "भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव" में डी सिका की फ़िल्में देखने के लिए [उसे] आग्रह किया।दस दिनों में, उन्होंने 55 फिल्में देखीं, और विटोरियो (वित्तोरियो दे सिका) की फिल्म बाइसिकिल थीफ ने उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया।
फ़िल्म-निर्देशन एवं निर्माण
आरम्भ में कुछ टेलीविजन सीरियल के लिए लिखने के बाद अनुराग को रामगोपाल वर्मा के अपराध-नाटक फ़िल्म सत्या में सह-लेखन का कार्य मिला। उन्होंने अपने निर्देशन का कार्य फिल्म 'पाँच' से शुरुआत की, जो कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कारण प्रदर्शित नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने 1993 मुंबई बम विस्फोट के बारे में हुसैन जैदी द्वारा लिखित पुस्तक पर आधारित एक फिल्म ब्लैक फ्राइडे (2007) का निर्देशन किया। लेकिन इसका प्रदर्शन केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा लंबित किए जाने के कारण 2 साल बाद हो सका; फिर भी 2007 में प्रदर्शित होने के बाद इसे काफी सराहना प्राप्त हुई। इसके बाद अनुराग ने नो स्मोकिंग (2007) बनाई जिसने बॉक्स ऑफिस पर खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने सुप्रसिद्ध उपन्यास देवदास पर आधारित, परन्तु परंपरागत की अपेक्षा सर्वथा भिन्न एक आधुनिक युगीन स्वरूप प्रदान करते हुए फ़िल्म देव डी (2009) बनाई जिसे काफी व्यवसायिक सफलता प्राप्त हुई। उसके बाद उन्होंने एक राजनीतिक नाटक फिल्म गुलाल (2009) और दैट गर्ल इन यैलो बूट्स (2011) फिल्मों का भी निर्देशन किया। 2012 में आयी उनकी फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के भाग 1और भाग 2ने इनके निर्देशन का नया कीर्तिमान बनाया। यह फिल्म न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रही, बल्कि समीक्षकों ने भी इसे काफी सराहा।
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